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gandi galio k sath chudai ki kahani प्रीति भाभी की चूत का अनमोल रस

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Latest sotry by : – हर्ष पाटिल … है

ल्लो दोस्तों, में हर्ष पाटिल आज बहुत दिनों के बाद आप सभी urzoy latest new hindi sex stories के चाहने वालों को अपनी एक नयी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जो हाल ही में मेरे साथ घटीत हुई है

, लेकिन कहानी को शुरू करने से पहले में जो नये पाठक है

, उनके लिए अपना परिचय दे देता हूँ। दोस्तों मेरा नाम हर्ष है

और में मुंबई में रहता हूँ, मेरी उम्र 24 साल है

और में दिखने में एकदम ठीकठाक हूँ और आप लोगों की तरह में भी पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ, मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है

। मैंने अब बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है

और अपनी घटना को लिखकर आप लोगों तक भेजा भी है

और आज में अपनी एक ऐसी ही जोश भरी घटना बताने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि इसको पढ़कर आप लोगों को बहुत मज़ा आएगा। दोस्तों एक दिन में शाम को अपने ऑफिस से अपने घर के लिए बस से निकला और वो सभी के ऑफिस छूटने का वक़्त था। फिर मैंने देखा कि उस समय उस बस में भी बहुत भीड़ थी और मेरे आगे की तरफ एक आंटी खड़ी हुई थी, वो दिखने में अच्छी थी और उनकी उम्र कोई 42 साल के आसपास की होगी, लेकिन मैंने पहले इतना गौर नहीं किया था। अब में उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया था और बस में ज़्यादा भीड़ होने की वजह से ना चाहते हुए भी मेरा हाथ बार बार उनके हाथों को छू रहा था और उनके गोरे हाथों के मुलायम स्पर्श से मुझे अब कुछ कुछ होने लगा था। फिर मैंने एक बार उन्हें अब गौर से देखा, उनकी हाईट कुछ 5.2 इंच थी और उनका गोरा बदन, बूब्स भी दिखने में एकदम ठीकठाक थे, मतलब 34 के होंगे और उनकी गांड थोड़ी सी बाहर निकली हुई थी।

अब मेरे मन में भी उनके बारे में लगाव शुरू हो गया था और अब में भी जानबूझ कर बार बार अपना हाथ उनसे छू रहा था, लेकिन वो भी मुझसे कुछ भी नहीं बोल रही थी और अब में थोड़ी हिम्मत करके धीरे धीरे उनकी कमर पर अपनी उंगली को घुमा रहा था, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ नहीं कह रही थी।

फिर वो तो बस अपने आगे वाले आदमी से बात कर रही थी और मुझे पहले लगा कि वो कोई और है

, थोड़ी देर बाद बस में अब बहुत भीड़ बढ़ गई और फिर अब में बिल्कुल बिंदास होकर धीरे धीरे उनकी गांड पर हाथ फेर रहा था और सिर्फ़ एक बार उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन फिर भी कुछ भी नहीं कहा। फिर वो जिस जगह पर खड़ी हुई थी, थोड़ी देर बाद वहां की सवारी उतर जाने से वो सीट खाली हो गयी और वो तुरंत उस जगह पर बैठ गई। अब में बार बार उन्हें छूने का कोई ना कोई मौका ढूँढ रहा था और मेरी इस हरकत पर उस आदमी ने भी गौर किया, अब वो भी मुझे लगातार घूर रहा था और हल्की हल्की स्माईल दे रहा था, जिसकी वजह से मुझे अब थोड़ा सा डर भी लग रहा था। उसके थोड़ी देर बाद मेरा भी स्टॉप आ गया और में अब उतरने लगा था, तभी मेरे पीछे वो आंटी भी आ गई और वो अंकल भी उनके पीछे पीछे थे और फिर में बस से नीचे उतरकर स्टॉप पर रुक गया, यह देखने के लिए कि वो लोग कहाँ जाते है

और थोड़ी देर बाद वो दोनों बात करते करते आगे चले गये, तब मुझे एहसास हो गया कि वो उनके पति ही थे। फिर में भी उन दोनों के पीछे पीछे जाने लगा और फिर थोड़ी देर चलने के बाद पता नहीं कैसे अंकल एकदम से अचानक से नीचे गिर गये और अब में उनके पीछे था, इसलिए में उनको संभालने के लिए भागकर उनके पास गया और फिर मैंने उनसे पूछा। में : क्या हुआ अंकल आपको कहीं चोट तो नहीं आई? अंकल : अरे नहीं नहीं बेटा, पता नहीं मेरा पैर एकदम से कैसे फिसल गया और उस वजह से में गिर गया, लेकिन अब मुझे मोच आ गई है

, आह्ह्ह्हह्ह मुझे अब बहुत दर्द हो रहा है

उफफ्फ्फ्फ़। में : हाँ मुझे वो सब नजर आ रहा है

। फिर वो धीरे धीरे उठकर खड़े हुए और चलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनसे चला भी नहीं जा रहा था और तभी एक साईड से मैंने उनको सहारा दे दिया और फिर वो धीरे धीरे चलने लगे और तभी आंटी ने मुझसे कहा। आंटी : चलो अब हम सीधे घर ही चलते है

। में : हाँ अंकल यही बिल्कुल ठीक रहेगा, अब आप घर पर जाकर थोड़ा अपने पैर की मलम पट्टी करो, तब यह थोड़ा ठीक हो जाएगा। फिर मैंने उनसे इतनी बात कहते हुए अपनी बात को खत्म करके एक ऑटो वाले को आवाज देकर रुकवा लिया और फिर उन दोनों को मैंने उस ऑटो में बैठा दिया, लेकिन तभी वो अंकल मुझसे कहने लगे कि प्लीज तुम भी चलो ना हमारे साथ मुझे अपना सहारा देकर मेरे घर तक छोड़ देना। फिर मैंने भी कुछ देर मन ही मन सोचा कि चलो इसी बहाने से मुझे आंटी के ज्यादा करीब रहने का मौका भी मिल जाएगा और में भी झट से उस ऑटो में बैठ गया। अब ऑटो में सबसे पहले में बैठा बीच में आंटी और फिर अंकल बैठे हुए थे और में भी जानबूझ कर आंटी से थोड़ा ज्यादा चिपक चिपककर बैठा और आंटी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

फिर हम लोग कुछ ही देर में उनके घर पर पहुँच गये और तब मैंने देखा कि वो दूसरी मंजिल पर रहते थे। फिर में और आंटी अंकल को अपने कंधे का सहारा देकर उनके घर तक लेकर चले आए और वहां पर पहुंचते ही उन्होंने मुझसे कहा। आंटी : चलो अब अंदर बैठो बेटा, में तुम्हारे लिए अभी चाय बनाकर लाती हूँ। में : अरे आंटी नहीं रहने दो, में अब अपने घर के लिए निकलता हूँ और में फिर कभी आ जाऊंगा, अभी तो आप अंकल जी को थोड़ा मालिश कर दो, उनका पैर ठीक हो जाएगा, शायद उनको बहुत दर्द हो रहा होगा। अंकल : अरे बेटा तुम बैठो ना थोड़ी देर चाय पीकर चले जाना, मेरा पैर ठीक हो जाएगा। फिर उसके बाद में बैठ गया और आंटी अंदर किचन में हमारे लिए चाय बनाने चली गई। अब में और अंकल बातें करने लगे थे और अब मुझे थोड़ी प्यास लगी थी, इसलिए मैंने वहां पर एक जग रखा हुआ देखा तो मैंने उसे पीने के लिए उठा लिया, लेकिन फिर देखा कि उसमें पानी नहीं था, तब अंकल ने मुझसे कहा। अंकल : तुम अंदर किचन में चले जाओ, वहां पर तुम्हारी आंटी होगी और वो तुम्हें पानी दे देगी, जाओ ना। अब में भी वहां से उनके कहने पर तुरंत उठा और उनके किचन में चला गया और वहां पर जाकर मैंने देखा कि उनकी किचन थोड़ी छोटी सी थी और जब में अंदर गया, तब आंटी चाय बना रही थी और उनकी पीठ मेरी तरफ थी, में धीरे से उनके पीछे गया और मैंने उनके बालों की खुशबू को एक पल के लिए सूंघ लिया और तभी मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी की गांड को छू गया और तभी मैंने आंटी से कहा। में : आंटी मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी चाहिए था। अब आंटी ने बस अपनी गर्दन घुमाई और मुझसे उन्होंने फ्रीज से लेने के लिए बोल दिया तो मैंने भी बिना अपने लंड को हिलाए वैसे ही हाथ को आगे की तरफ बढ़ाकर फ्रीज से एक बोतल को बाहर निकाल लिया और अब में पानी पीने लगा था। आंटी अपने मुहं को आगे की तरफ करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी, क्योंकि मेरा तना हुआ लंड अब उनकी गांड को धीरे धीरे चूम रहा था। अब मेरा लंड आंटी की गांड की दरार में बिल्कुल फिट हो गया था और मैंने धीरे से उसको आगे की तरफ धक्का दे दिया और मेरी इस हरकत पर आंटी ने भी गौर किया, लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा, लेकिन तभी बाहर से अंकल की आवाज़ आ गई। अंकल : अरे सरला ज़रा हर्ष के हाथों से मेरे लिए भी पानी भेज देना। आंटी : जी हाँ, अभी भेजती हूँ। में अभी भी आंटी के पीछे खड़ा हुआ था। फिर आंटी ने पलटकर मुझसे बहुत प्यार से कहा। आंटी : जाओ बेटा तुम्हारे अंकल को प्यास लगी है

, तुम उन्हें यह पानी दे दो और में चाय लेकर अभी आती हूँ। फिर में भी उनके कहने पर पानी का बोतल लेकर बाहर आ गया और अंकल के साथ बैठ गया और फिर आंटी हमारे लिए चाय लेकर आ गई और हम लोगों एक साथ बैठकर चाय पीने लगे थे और फिर उन्होंने मुझसे मेरे घर वालों के बारे में पूछा और हमारे बीच थोड़ी इधर उधर की बातें भी हुई और में कुछ देर बाद अपने घर के लिए निकलने लगा। फिर में उसके बाद उठकर जाने लगा और आंटी मुझे दरवाजे तक छोड़ने बाहर आई। तभी मैंने थोड़ी हिम्मत करके आंटी का हाथ अपने हाथों में लेकर उनसे कहा। में : आंटी में बिल्कुल सच कह रहा हूँ, में आपको बहुत पसंद करता हूँ, आप बहुत सुंदर हो। फिर इतना कहकर मैंने तुरंत उनका हाथ चूम लिया, आंटी भी मेरी यह बात सुनकर शरमा गयी और अब उन्होंने हंसकर अपनी गर्दन को नीचे करके मुझसे कहा। आंटी : चल तू मुझसे मजाक करता है

, में कहाँ इतनी सुंदर हूँ। दोस्तों में अब उनके और भी करीब आ गया और मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर कहा। में : नहीं में बिल्कुल सच कह रहा हूँ कि आप बहुत सुंदर हो। दोस्तों मैंने अपना एक हाथ उनके पीछे ले जाकर उनके कुल्हे के ऊपर रख दिया और अब में उनको अपनी तरफ खींचकर तुरंत उन्हें किस करने लगा। पहले आंटी ने मुझे दिखाने के लिए थोड़ा सा नाटक किया और फिर वो भी मेरा साथ देने लगी, करीब पांच मिनट के किस के बाद मैंने आंटी को छोड़ दिया, अब आंटी मेरी तरफ धीरे से मुस्कुराई और में उनको बाय बोलकर चला गया। दोस्तों ये कहानी आप urzoy latest new hindi sex stories पर पड़ रहे है

। दोस्तों फिर दो दिन के बाद में अंकल को सुबह सुबह देखने उनके हालचाल पूछने के लिए उनके घर पर गया था कि उनका पैर कैसा है

? दोस्तों यह तो सिर्फ़ एक बहाना था, में असल में वहां पर आंटी से मिलने गया था और जब में वहां पर गया तो अंकल ने दरवाजा खोला। अंकल : अरे हर्ष बेटा तुम, आओ आओ अंदर आओ। में : हाँ अंकल अब कैसा है

आपका पैर का दर्द? फिर में और अंकल सोफे पर बैठकर बातें करने लगे। फिर मैंने उनसे पूछा कि आंटी कहाँ है

? तब अंकल मुझसे बोले कि वो अभी अभी नहाने गयी है

, तुम तो बेठो वो अभी कुछ देर में आती ही होगी। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है

और फिर हम लोग इधर उधर की बातें कर रहे थे तो अंकल मुझसे बोले। अंकल : तुम बैठो में तुम्हारे लिए पानी लेकर अभी आता हूँ। में : अरे नहीं नहीं अंकल में खुद ले लूँगा, मेरे लिए आप मत तकलीफ़ उठाओ। दोस्तों उनसे यह बात कहकर में उठकर किचन की तरफ जाने लगा। तभी मैंने देखा कि आंटी बाथरूम से बाहर निकली, वो उस समय सिर्फ़ टावल लपेटकर सीधा उनके बेडरूम में घुस गयी और यह मैंने देख लिया, अंकल अभी भी टी.वी. देख रहे थे। फिर में वहां से उठकर सीधा उनके बेडरूम की तरफ चला गया और मैंने देखा कि वो दरवाजा पहले से ही थोड़ा सा खुला हुआ था और आंटी पूरी नंगी होकर अपने बालों को साफ कर रही थी और उनकी पीठ दरवाजे की तरफ थी।

अब में धीरे से उनकी तरफ चला गया और मैंने धीरे से आंटी को पीछे से हाथ डालकर पकड़ लिया और अब में उनकी गोरी गर्दन को चूमने लगा था और आंटी भी अपनी आँखे बंद करके मुझसे बोलने लगी। आंटी : ओह्ह्ह्ह, आज यह क्या हो गया है

तुम्हें जो इतने दिनों बाद अपनी बीवी पर इतना प्यार आ रहा है

? दोस्तों में उनके मुहं से वो बात सुनकर थोड़ा चकित हो गया था, क्योंकि आंटी को लग रहा था यह सब काम उनके साथ अंकल कर रहे है

और फिर मैंने भी मन ही मन सोचा कि चलो आज थोड़ा इसी बात का फ़ायदा उठाया जाए और अब में धीरे धीरे आंटी के बूब्स को भी दबा रहा था और उनकी गर्दन को भी चूम रहा था, आंटी अब गरम होकर जोश में आकर धीरे धीरे मोन कर रही थी।

आंटी : आअहह्ह्ह्ह उहहह्ह्ह्ह तुम्हें यह क्या हो गया है

? अब मेरा हाथ आंटी के पूरे बदन पर घूम रहा था, में आप सभी को क्या बताऊँ कि सच में मुझे कितना मज़ा आ रहा था? मैंने आंटी की पूरी पीठ को चाट चाटकर गीली कर डाली थी और अब आंटी भी मेरे लंड को पकड़ने के लिए अपना एक हाथ पीछे कर रही थी, लेकिन तभी मैंने उनको सीधा किया और तब भी उनकी आँखे बंद थी और मैंने उनके होंठो पर अपने होंठ रखकर में उन्हें चूसने लगा था, उम्माआ आआहह्ह्ह्ह मुझे अब थोड़ा डर भी लग रहा था, क्योंकि अंकल कभी भी अंदर आ सकते थे और फिर आंटी ने आँखे खोली और देखा तो उनके सामने में था। दोस्तों में सच कहूँ तो उस समय आंटी का वो एकदम लाल पसीने से भीगा हुआ चेहरा देखने लायक था, क्योंकि वो मुझे अपने बदन से लपटे हुए देखकर बहुत है

रान थी और तब उन्होंने मुझसे कहा। आंटी : हर्ष तुम? फिर मैंने हंसकर उनको एक चुम्मी ले ली और में वहां से तुरंत बाहर आ गया और अब में बहुत मज़े से अंकल के साथ बैठकर टी.वी. देख रहा था। अंकल : अरे तुमने इतनी देर कैसे लगा दी? में : हाँ वो में थोड़ी देर आंटी से बात कर रहा था। फिर आंटी कुछ देर बाद वहां पर हम सभी के लिए चाय लेकर आ गई, उन्होंने उस समय सिर्फ़ एक मेक्सी पहनी हुई थी और उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना था, यह मुझे साफ साफ दिख रहा था और फिर आंटी आकर सीधा मेरे और अंकल के बीच में बैठ गयी। अंकल : क्या बात है

आज तुम इतनी देर तक नहाई, क्यों तुमने बहुत देर लगा दी? आंटी : अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही समय लग गया। अंकल : वैसे आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो। फिर उन्होंने थोड़ा आगे बढ़कर आंटी के गाल पर मेरे सामने ही उन्हें एक किस कर दिया। आंटी : क्या आप भी हर्ष के सामने ही चालू हो गये? अंकल : अरे तो क्या हुआ उससे वो भी अब बड़ा हो गया और पूछ लो कि आज तुम कैसी लग रही हो, क्यों हर्ष? में : हाँ आंटी, अंकल बिल्कुल सच कह रहे है

, आज आप बहुत सुंदर लग रही हो। आंटी : ऊहह तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद मुझे लगा कि कहीं तुम भी अंकल की तरह मुझे चूमोगे। फिर आंटी हंसने लगी, अब में थोड़ा सा भ्रमीत हो गया और अब मैंने मन ही मन सोचा कि चलो एक बार हिम्मत करके देखते है

। में : अच्छा यह बात है

तो यह लो महहाअ। दोस्तों मैंने आंटी के गाल पर किस किया और यह देखकर अंकल हंसने लगे और कहने लगे। अंकल : देखा मैंने कहा था ना कि तुम आज बहुत सुंदर लग रही हो, क्यों हर्ष? में : हाँ अंकल सच में आंटी आज बहुत सुंदर लग रही है

। फिर यह कहने के बाद अंकल को भी जोश आ गया और वो आंटी के कंधे पर रखकर सीधा उनके होंठो को चूमने लगे। पहले तो आंटी ने थोड़ा सा नाटक किया, शायद उस समय में वहां पर था इसलिए, लेकिन फिर मैंने देखा कि वो भी अब अंकल का साथ दे रही थी।

वाह दोस्तों सच में क्या सीन था, मेरा तो यह सब देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया था, लेकिन में चुपचाप सब कुछ देख रहा था। फिर कुछ पांच मिनट बाद वो दोनों अलग हुए और मेरी तरफ देखने लगे। अंकल : क्यों हर्ष कैसा लगा? में : वाह एकदम मस्त था अंकल मज़ा आ गया। अंकल : अरे अभी कहाँ अभी तो और भी मज़े लेना बाकी है

। में : क्या मतलब में आपकी बातों का मतलब नहीं समझा? फिर अंकल वहां से उठकर मेरे बाजू में आकर बैठ गये और उन दोनों के बीच में अब भी में बैठा हुआ था। अंकल : हर्ष हुन्न्न्न मुझे सब पता है

, तुमने जब से आंटी को देखा है

, तब से तुम उसे चाहने लगे हो और तभी से हम दोनों ने यह सब नाटक किया था। दोस्तों में तो उनके मुहं से यह बात सुनकर एकदम से डर गया था कि अब मेरे साथ क्या होगा, इसलिए में सिर्फ़ नीचे सर करके बैठा था। अंकल : अरे तुम घबराओ मत, क्योंकि मुझे भी अपनी बीवी को मज़े करवाने थे। फिर आंटी ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और फिर वो मुझसे कहने लगी। आंटी : मुझे तो तुम उस दिन ही पसंद आ गय थे, जब मैंने तुम्हें बस में पहली बार देखा था और तुम उस दिन मुझसे चिपककर मेरे साथ वो हरकते करके मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे और में भी जानबूझ कर तुम्हारा पूरा साथ दे रही और तब से ही हम दोनों ने यह सब प्लान बना लिया था। दोस्तों उन्होंने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मुझे स्मूच करने लगी। पहले मैंने उनका साथ नहीं दिया। फिर उन्होंने एक बार छोड़कर मेरी आँखो में देखा और फिर चालू हो गयी, उस टाईम में भी उनका पूरा साथ दे रहा था और हम दोनों करीब पांच मिनट तक स्मूच कर रहे थे और फिर मैंने देखा कि अंकल ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए थे और वो आंटी की दूसरी तरफ बैठे हुए थे। अंकल : आअहह मज़ा आ गया सरला, तुम्हें ऐसे हर्ष को चूमते देखकर में पागल हो चुका हूँ, अब हम सभी और भी बहुत मज़े करेंगे और इसके साथ मज़े करके तुम इसके साथ साथ मुझे भी खुश कर दो, वाह मज़ा आ गया। आंटी : ऑश आप भी ना यह क्या कह रहे हो? अंकल : अरे हर्ष तुम भी तैयार हो जाओ, चलो आज हम दोनों तुम्हारी आंटी को बहुत मज़े करवाते है

। आंटी : आओ हर्ष में तुम्हारे कपड़े उतार देती हूँ। अब में और आंटी दोनों खड़े हो गए थे, तभी आंटी मेरी टी-शर्ट और पेंट को उतारने लगी थी, लेकिन तभी अंकल ने पीछे से आकर तुरंत आंटी की मेक्सी को उतार दिया और वो सोफे पर बैठकर आंटी की गांड को चाटने लगे थे और अब हम तीनो एक दूसरे के सामने पूरे नंगे थे। आंटी : आआहह ऑश। अब में और एक दूसरे को पूरे जोश में आकर आंटी स्मूच कर रहे थे और में साथ साथ उनके बूब्स को भी दबा रहा था और अंकल पीछे से लगातार उनकी गांड को चाट रहे थे, जिसकी वजह से आंटी अब सिसकियाँ लेने लगी थी।

वो उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्हह्ह वाह मज़ा आ गया कह रही थी।

दोस्तों वो क्या मस्त नज़ारा था, फिर 5 से 10 मिनट बाद अंकल ने आंटी को थोड़ा और झुका दिया और उन्होंने आंटी के पीछे से अपना लंड अंदर डाल दिया, क्योंकि दोस्तों शायद अब अंकल को कंट्रोल नहीं हो रहा था। तब मैंने भी सही मौका देखकर आंटी के मुहं में अपना लंड डाल दिया। अब आंटी मेरा लंड लोलीपोप की तरह बहुत मज़े लेकर चूस रही थी और अंकल पीछे से उनकी चूत में लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहे थे। अंकल : आहह सरला सच में आज बहुत मज़ा आ रहा है

, आहहह ओहह्ह्ह। दोस्तों कुछ देर लंड को बहुत अच्छी तरह से चूसने के बाद आंटी ने मेरा लंड अपने मुहं से बाहर निकाल दिया और तब उन्होंने मुझे कहा। आंटी : आअहह्ह्ह हाँ जी सच में बहुत मज़ा आ रहा है

, आपने पहले कभी इतनी दमदार चुदाई नहीं की थी, अहहहहह और ज़ोर से चोदो अहहहहह। फिर वो एक बार फिर से मेरा लंड मुहं में लेकर चूसने लगी थी।

फिर 10 मिनट बाद अंकल झड़ गये और वो सोफे पर बैठकर हांफने लगे, अब आंटी भी खड़ी हो गई और वो मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे चूमते हुए बोली। आंटी : लो इनका तो पूरा काम हो गया, अब तुम मुझे आराम से चोदना और जैसा चाहे वैसे चोदना। में : हाँ मेरी जान अब तो में ही तुम्हे चोदूंगा। फिर में भी उनको किस करने लगा और उनका एक पैर सोफे पर रखकर आगे से उनकी चूत में अपना लंड ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर अंदर घुसाने लगा और लंड फिसलता हुआ अंदर जाने लगा, क्योंकि उनकी चूत में पहले से ही बहुत पानी निकल रहा था, जिसकी वजह से चूत बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी।

अब लंड के पूरा अंदर जाते ही में जोरदार धक्के देने लगा और मेरे हर एक धक्के से वो पूरी हिलने लगती। आंटी : आअहह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ हर्ष थोड़ा धीरे धीरे चोदो ना, में क्या कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ, आईईईई। में : ऊह्ह्ह आंटी आपकी चूत ही इतनी गरम, सेक्सी है

कि में अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ, में क्या करूं आप ही मुझे बताए? आह्ह्ह आहहहाः ऊहहह उसके बाद मैंने आंटी को सोफे पर लेटा दिया और अब में उन्हें मिशनरी पोज़ में चोदने लगा था और 25 से 30 मिनट की चुदाई के बाद आंटी दो बार और में एक बार झड़ चुका था। मैंने अपना पूरा वीर्य उनकी चूत की गहराईयों में डाल दिया और हम तीनों भी ऐसे ही थोड़ी देर थककर लेटे रहे। उसके बाद आंटी ने हमे खाना बनाकर दिया और हम सभी ने एक साथ बैठकर खाना खाया। उसके बाद एक बार फिर से हमारी चुदाई का खेल चला। मैंने उनको बहुत जमकर चोदा और चुदाई खत्म होने के बाद में अपने कपड़े पहनकर घर आ गया, लेकिन अब जब भी हमे कोई अच्छा मौका मिलता तो हम तीनों मिलकर चुदाई करते है

और बहुत मज़े लेते है

।। और … +0 प्रीति भाभी की चूत का अनमोल रस कामवाली बाई को बनाया घरवाली .

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